Kahawate: The Wisdom of Saying

Date: 2nd August 2024 
Time: 4:30- 5:30 pm  
Venue: KCC 1st floor  

Join us at Ramjhol 2.0, a festival celebrating Rajasthani culture at KCC for Kahawate, a talk session with Rajendra Kedia and Priyankar Paliwal, moderated by Hinglaj Dan Ratnu. This session will delve into the traditional proverbs of Rajasthan and reminisce about the wisdom of the saying.
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About Rajendra Kedia: 

 राजेन्द्र केडिया : संक्षिप्त साहित्यिक योगदान  

- जन्म 1941, शिक्षा- बी-कॉम, साहित्यरत्न, वाणिज्य एवं विधि में स्नातकोत्तर अध्ययन।   

- पैंसठ वर्ष की उम्र में कलम उठायी। प्रथम कहानी संग्रह 'तीसरा नर' सन् 2005 में प्रकाशित। अब तक चार कहानी संग्रह, दो उपन्यास प्रकाशित एवं पत्र-पत्रिकाओं में सैंकड़ों कहानियां एवं आलेख प्रकाशित ।  

- ⁠सामाजिक पत्रिकाएं, ‘रिलीफ', 'आनन्द पत्रिका' एवं 'अग्र-संदेश' का मानद सम्पादन | उपन्यास 'मदन बावनिया' के राजस्थानी अनुवाद को सन् 2016 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, अनुवादक- डॉ. मदन सैनी ।  

* राजस्थान के नमक के विराट व्यवसाय, हजारों बैलगाड़ियों के टांडों, उनके संचालक बनजारों तथा संस्कारवान सेठ-साहूकारों की जीवन शैली पर आधारित शोधपूर्ण उपन्यास 'जोग-संजोग', पर प्रो. आदित्य प्रचंडिया (डी.लिट्) के निर्देश में सुश्री आस्था चौहान का शोध-प्रबन्ध, दयाल बाग शिक्षण संस्थान (डीम्ड यूनिवर्सिटी), आगरा द्वारा सन् 2010 में स्वीकृत एवं डॉक्टरेट की डिग्री प्रदान ।  

- राजस्थानी भाषा की बीस हजार से अधिक मौलिक कहावतों का संग्रह एवं उनको विषय-वस्तु परक शोधपूर्ण दस खंडों में सहेजने पर कार्यरत। 'जाति और पेशेगत' 2300 मौलिक कहावतों का प्रथम खंड प्रकाशित। लगभग 700 पृष्ठों के इस खंड में कहावतों के विषय में विशद भूमिका, साहित्यिक संदर्भ, शब्दावली एवं मुहावरे संग्रहित। अन्य खंड, पशु-पक्षी, रिश्ते-नाते, अंग-प्रत्यंग, भाव-भावना, घर-गृहस्थी, ईश्वर-धर्म, रीति-रिवाज आदि शीघ्र प्रकाश्य ।   

- ⁠बीसवी शताब्दी के पूर्वाध में कलकत्ते के सामाजिक परिवेश और प्रवासी राजस्थानी समाज की पारंपरिक जीवन-शैली से परिचित कराती पुस्तक 'मेरा कलकत्ता, मेरा बड़ाबाजार' शीघ्र प्रकाश्य ।  

- पुस्तक-प्रेमी, विशिष्ट विषयों पर हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी, फ्रेन्च आदि भाषाओं की बीस हजार से अधिक दुर्लभ पुस्तकों एवं पाण्डुलिपियों का संग्रह ।  

- लेखन एवं सामाजिक सेवा हेतु अनेक पुरस्कार-सम्मानादि प्राप्त।  

- लेखन का उद्देश्य पाठकों को देश एवं राजस्थान की पुरातन लोक-संस्कृति एवं परंपरागत जीवन-मूल्यों से अवगत कराना।  

About Hinglaj Dan Ratnu: 

श्री हिंगलाज दान रतनू राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग राजस्थान सूचना केंद्र कोलकाता में सहायक निदेशक के पद पर पदस्थापित हैं, राजस्थानी साहित्य एवं लोक संस्कृति के सशक्त हस्ताक्षर हैं. श्री रतनू आई सी सी आर (भारतीय सांस्कृतिक परिषद) के माध्यम से विश्व के 18 देशों में भारत महोत्सव में राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर चूके हैं.श्री रतनू के पितामह बीकानेर महाराजा गंगासिंह जी के ए.डी.सी थे एवं पिता डिंगल के मूर्धन्य कवि हैं. इनके मामा विप्लव के कवि मनुज देपावत थे। श्री हिंगलाज जी के पिता बीकानेर स्टेट में जागीरदार रहे हैं। आप राजकीय सेवा में रहते हुए राजस्थान एवं पश्चिम बंगाल तथा प्रवासी राजस्थानी एवं मारवाङीयों को राजस्थानी साहित्य, कला, संस्कृति, परम्पराओं के माध्यम से राजस्थानीयत से जोङने का सफल प्रयास करते हुए सेतु के रूप में इस क्षेत्र में कार्य किया है।